प्रवासी पक्षी
काव्य साहित्य | कविता सन्तोष कुमार प्रसाद1 Aug 2024 (अंक: 258, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
मैं लौट आया हूँ
प्रवास का दौर पूरा करके
उड़ता रहा आकाश मेंं
जाने कितने हम पक्षियों के साथ
बचता रहा झकोरों से, तुषारापात से
प्राकृतिक आपदाओं से
एक नयी दुनिया की खोज मेंं
घरौंदे के लिए
लाखों मील की उड़ान
ताकि नये सृजन हो सकें,
एक मौसम के आने के बाद
नीला आकाश अपनी ओर खींचता है
उड़ने को सात समंदर पार
फिर एक नये प्रवास के लिये
उड़ने को आतुर
भले ही नाम अलग हो
अमूर फाल्कन, ग्रेटर फ्लेमिंगो, ब्लैक विंगड स्टिल्ट
या कुछ भी कह लो
पर लक्ष्य एक है
प्रवासी पक्षी हूँ ना!
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