नमी
काव्य साहित्य | कविता इन्दु जैन13 Jul 2008
(यहाँ कुछ हुआ तो था)
प्रेषक : रेखा सेठी
आँख में आँसू की
तरह
अटका हुआ है बच्चा
रुकेगा नहीं
दुःख सुख से इस बात
का कोई सरोकार नहीं
सरोवर से उठा था
मथ कर
सर्दी गर्मी में
हवा धूप बादल बन कर
मँडराया था
तरल डली बन
टपकेगा
रुका नहीं रहेगा आँख में
लेकिन सूखने क बाद का
गीलापन बना रहेगा
आख़िरी नज़र की
धरोहर तक।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं