बीज
काव्य साहित्य | कविता इन्दु जैन13 Jul 2008
(यहाँ कुछ हुआ तो था)
प्रेषक : रेखा सेठी
जो बीज
चिड़िया के पेट में
पक कर
निकलता है
मज़बूत जंगल उगाता है
मैं कमज़ोर कविताएँ
लिखना नहीं चाहती
मैं
अन्दर के धुँआते कबाड़ से
गर्मी पैदा कर
बीज पकाना चाहती हूँ
झंखाड़ नहीं
जंगल उगाना चाहती हूँ।
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