चुप रहो
काव्य साहित्य | कविता अमरेश सिंह भदौरिया1 Mar 2019
यदि सच कहना चाहते हो
तो आईने की तरह कहो,
वरना चुप रहो......!!!!!
1.
परंपरा परिपाटी का सच,
हल्दी वाली घाटी का सच,
कुरुक्षेत्र की माटी का सच,
........या.........
सत्य-अहिंसा लाठी का सच,
यदि इनमें से आपका सच
मेल खाता है तो शौक़ से कहो,
वरना चुप रहो......!!!!!
2.
आँगन की दीवारों का सच,
मंदिर या गुरुद्वारों का सच,
मज़हब या मीनारों का सच,
.........या.........
ख़ून सने अख़बारों का सच,
यदि इनमें से आपका सच
मेल खाता है तो शौक़ से कहो,
वरना चुप रहो......!!!!!
3.
भगत सिंह बलिदानी का सच,
पन्ना की क़ुर्बानी का सच.....
बादल-बिजली-पानी का सच,
..........या.........
खेती और किसानी का सच,
यदि इनमें से आपका सच
मेल खाता है तो शौक़ से कहो,
वरना चुप रहो,...!!!!!
4.
माँ के व्रत-उपवास का सच,
उर्मिला के अहसास का सच,
वैदेही वनवास का सच,
........या........
शबरी के विश्वास का सच,
यदि इनमें से आपका सच
मेल खाता है तो शौक़ से कहो,
वरना चुप रहो......!!!!!
5.
सत्तासीन दलालों का सच,
पंचायत - चौपालों का सच,
मुफ़लिस-भूख-निवालों का सच,
.........या.........
अनसुलझे सवालों का सच,
यदि इनमें से आपका सच
मेल खाता है तो शौक़ से कहो,
वरना चुप रहो......!!!!!
6.
क़ातिल बाज़ निगाहों का सच,
करूण सिसकियां आहों का सच,
ख़बरों या अफवाहों का सच......
.........या..........
भीड़-भरे चौराहों का सच,.....
यदि इनमें से आपका सच
मेल खाता है तो शौक़ से कहो,
वरना चुप रहो......!!!!!
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