अजीतपुर, लालगंज
रायबरेली उ. प्र,
मेरी आंरभिक शिक्षा गाँव में ही हुई। आगे की शिक्षा लालगंज में संपन्न हुई। वर्ष 2001 में स्नातक की परीक्षा कानपुर विश्वविद्यालय से पास की।
यहीं से साहित्य के प्रति प्रेम उत्पन्न हो गया।
अर्थाभाव के कारण कभी गुजरात तो कभी पंजाब तो कभी महाराष्ट्र आदि जगहों पर जाना पड़ा। इसके बावजूद भी साहित्य साधना निरंतर चलती रही। एक समय वर्ष 2009 में जब कैंसर की बीमारी से ग्रसित हुआ, तो लगा कि अब सब कुछ यहीं थम गया। लेकिन शायद ईश्वर को कुछ और ही मंज़ूर था। उसकी वजह से मेरा उपचार पहले पंजाब में फिर लख़नऊ में बाद में कानपुर में और अंत में टाटा अस्पताल मुम्बई में हुआ। अब मैं स्वस्थ हूँ ,और एक विद्यायल में अध्यापन कार्य कर रहा हूँ।
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