रफ़्तार सदी की
काव्य साहित्य | गीत-नवगीत अमरेश सिंह भदौरिया1 Mar 2019
बदली है रफ़्तार सदी की।
बदली है रफ़्तार सदी की।
1.
आसमान से बातें करना
दुनिया को मुठ्ठी में रखना
सीखा नहीं कहीं पर झुकना
अवरोधों में फँस कर रुकना
ठहरी हुई झील मत समझो,
है ये बहती धार नदी की।
बदली है रफ़्तार सदी की।
बदली है रफ़्तार सदी की।
2.
रिश्तों में बौनापन आया
क़द से बढ़कर दिखती छाया
मानवीय परिभाषा बदली
जीवन की प्रत्याशा बदली
ख़ास-आम चर्चा में दिखती,
चिंता बारम्बार ख़ुदी की।
बदली है रफ़्तार सदी की।
बदली है रफ़्तार सदी की।
3.
प्रजातंत्र बन गया नकारा
शिथिल हुआ है भाईचारा
चलती है बस धौंस उसी की
लाठी जिसकी भैंस उसी की
नेकी में सिमटाव आ गया,
दिखती है बढ़वार बदी की।
बदली है रफ़्तार सदी की।
बदली है रफ़्तार सदी की।
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