उपग्रह
काव्य साहित्य | कविता अमरेश सिंह भदौरिया1 May 2020 (अंक: 155, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
वात्सल्य की तरलता
ज़िम्मेदारियों का घर्षण
दायित्वों का भार
कर्तव्यों का नाभिकीय विखंडन
अंतर्संबंधों का आवेग
अंतहीन इच्छाओं की पिपासा
भावनाओं की प्रबलता
प्रणय का आवेश
कामनाओं की निर्बाधता
अनुबंध का गुरुत्वाकर्षण
आत्मीयता के बीच दूरी
वर्जनाओं की टूटन
और. . .
फिर. . .
निजता का बोध
इसलिए. . .
कभी-कभी सोचता हूँ
कि –
अपनी कक्षा से भटका हुआ
कोई उपग्रह तो नहीं हूँ मैं।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
पुस्तक समीक्षा
कविता
लघुकथा
कहानी
कविता-मुक्तक
हास्य-व्यंग्य कविता
गीत-नवगीत
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं