घाट की परिभाषा
काव्य साहित्य | कविता हेमन्त माथुर1 Sep 2023 (अंक: 236, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
गंगा की धाराओं का ख़ूबसूरत किनारा है घाट
शीतल जल की कल-कल का मधुर संगीत है घाट
महादेव की जटाओं से निकली निर्मल लहरों का संगम है घाट
भारतीय संस्कृति और प्राचीन सभ्यताओं का प्रतीक है घाट
गंगा, गगन और गीतों की ख़ूबसूरत मूरत है घाट
पाप मुक्ति एवं आत्मशुद्धि-तीर्थांकर है घाट
कबीर और तुलसी की अमरवाणी का साक्षी है घाट
अधूरी कहानियों की सिलवटों का समावेश है घाट
युवाओं के सुनहरे सपनों का मनोहारी चित्रण है घाट
जीवन संघर्ष से मुक्ति पाने हेतु शाश्वत सत्य है घाट
सांसारिक चक्र की यात्रा का अंतिम पड़ाव है घाट
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