बादशाह के लिए
काव्य साहित्य | कविता ख़ुदेजा ख़ान1 Nov 2022 (अंक: 216, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
खेल ताश के पत्तों का हो
या कोई और
बादशाह की नज़र बेगम पर
बेगम को हथियाना
और रखना ग़ुलाम बनाकर
चाहे हुकुम की बेगम को पसंद नहीं
ग़ुलाम की तरह हर हुकुम मानना
चिड़ी की बेगम को
अच्छा लगता है
खुले आकाश में उड़ना
ईंट की बेगम ने
अपने स्वाभिमान की ख़ातिर
नहीं किया समझौता कभी
लाल पान की बेगम को
केवल प्रेम से जीता जा सकता है
उसके भीतर की करुणा
समस्त मानवता के लिए
बेगम, ग़ुलाम नहीं बन सकती
ग़ुलाम, बेगम नहीं हो सकता
बादशाह के लिए
अब एक ही विकल्प
बेगम को उसके
स्वाभाविक रूप में
स्वीकार कर लेना।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं