अकेला रह जाता हूँ
काव्य साहित्य | कविता उमेश चरपे1 Aug 2019
मुझे अच्छा नहीं लगता
दो रुपयों के लिए
झूठ बोलना
मुझे अच्छा नहीं लगता
दुःख को छुपाकर
जोकर की तरह हँसाना
मुझे अच्छा नहीं लगता
जी हुज़ूरी में अपनी
आत्मा बेचना
मुझे अच्छा लगता है
सच बोलना
इसलिए अकेला रह जाता हूँ
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