लालच के साये
काव्य साहित्य | कविता अक्षय भंडारी1 Jun 2023 (अंक: 230, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
दूरभाष यंत्र अब आधुनिक हो गए
सब अब इस यंत्र में मंत्रमुग्ध हो गए
जो वरदान बन गए, वो अभिशाप हो गए
हर प्रहर में देखो कैसे सफ़र हो गए
भूतकाल में जो दूर थे आज यंत्र में सक्रिय हो गए
वर्तमान में लालच की माया में किशोर भावविभोर हो गए
आधुनिक यंत्र में जब सक्रिय खेल हो गए
भूतकाल में अच्छे दिन थे आज लालच के साये हो गए।
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