तू मेरी कल्पना
काव्य साहित्य | कविता अक्षय भंडारी1 Jan 2022 (अंक: 196, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
तू मेरी कल्पना और
में तेरी पहचान बन जाऊँ
तू रूप की रानी बने तो
में तेरा निखार बन जाऊँ
तू मुझे समझ ले तो
मैं और को भी समझाऊँ
जो तू जिधर चलेगी
तो उधर तेरे साथ चल जाऊँ
अगर हो साथ तेरा तो
में तेरा ख़्वाब बन जाऊँ
अगर तू कल्पना बन जाए
तो मैं साकार बन जाऊँ।
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