मकर संक्रांति और बचपन
काव्य साहित्य | कविता अक्षय भंडारी1 Feb 2022 (अंक: 198, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
मकर सक्रांति वाले
वो उल्लास याद आते हैं
बचपन मेंं गौमाता की
सेवा वाले दिन याद आते हैं
तिल गुड़ वाली मीठी
खाने के आनंद याद आते हैं
बचपन मेंं हाथ उठाकर
डंडे से फिर गिल्ली को उचकाने
वाले दिन याद आते हैं
बचपन वाले अनोखे पल जो
याद आते हैं।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं