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पिता कैसे-कैसे 

पिता कैसे? 
धृतराष्ट्र जैसे? 
पुत्र मोह, राज लोभ में अंधे . . . 
पुत्र सहित, कुल नाश का बोझ लिये 
जीते??? 
 
या फिर ययाति से? 
काम-वासना में लिप्त 
पुत्र का यौवन माँगते? 
 
एक और पिता 
श्रवण कुमार के, 
पुण्य-लाभ हेतु 
पुत्र के काँधे पर सवार 
पुण्य क्या पाते 
पुत्र शोक में बिलखते . . . 
 
याद आये परशुराम के पिता 
पत्नी के चरित्र पर संदेहवश 
पुत्र को मातृहंता बनाते, 
 
दशरथ से पिता 
अपनी शपथ 
का अभिमान लिये 
पुत्र को वनवास 
देते . . . 
 
आज के पिता 
इन जैसे? 
या 
बेहतर और सुलझे!!! 

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टिप्पणियाँ

shaily 2022/06/22 10:44 AM

धन्यवाद, आपने उचित कहा। सभी पिता संपूर्ण नहीं होते पर साहित्य में अक्सर माँ और पिता को कुछ अतिरंजित ही दिखाया जाता है

SarojiniPandey 2022/06/19 10:12 AM

यथार्थ परक !!! विशिष्ट पिताओं के उदाहरण तो पौराणिक कथाओं में भरे पड़े हैं उत्तानपाद, हरिण्यकशिपु,वाजिश्रवा आदि और भी कई हैं ःपिता का अर्थ यह कदापि नहीं कि वह संपूर्ण हो सभी मनुष्य हैं उनमें भी मानव सुलभ कमियां होती हैंः

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