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भारतीय नववर्ष

 

भारत के गुप्त वंश में 
एक राजा चन्द्रगुप्त थे 
उनकी प्रसिद्ध पदवी को 
विक्रमादित्य कहते थे 
इस पदवी के ही ऊपर
भारत के वर्ष बने हैं 
‘विक्रम-संवत’ हिन्दू के 
वर्षों को हम कहते हैं 
जब चैत मास में आती 
है शुक्ल पक्ष की प्रथमा
तिथि यही शुरू करती है 
नव संवत्सर रचना 
पहला दिन चैत्र शुक्ल का 
नव-वर्ष हमारा होता 
इस दिन से नवदुर्गा का 
व्रत-पूजन आरंभ होता 
आशीष लिए अम्बा का 
नव वर्ष हमारा आता 
मौसम बसंत का सुन्दर 
मन में उत्साह जगाता 
नूतन-नवीन संवत में 
आओ नव वर्ष मनायें 
भारत की परंपरा को 
हम विश्व पटल पर लायें
इसकी प्रशस्त थाती को 
उन्नत स्थान दिलायें
भारत ही विश्व गुरु है 
इसका विश्वास दिलायें 
इस नए वर्ष में हम सब 
आओ संकल्प उठायें
दीनों के आँसू पोछें
पीड़ित के दर्द मिटायें
आतंक, युद्ध और दुःख का 
ना लेश रहे इस जग में 
हो शान्ति, मित्रता ऐसी 
वसुधा कुटुम्ब बन जाये

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टिप्पणियाँ

राजनन्दन सिंह 2023/04/01 01:41 PM

मुझे इस कविता की विषय वस्तु पर आपत्ति है। 58 ईसा पूर्व उज्जैन के किसी स्थानीय राजा ने शकों पर विजय प्राप्त की और विक्रम संवत चलाया। जिसके बारे में भारतीय इतिहास को भी पूरी जानकारी नही है। विक्रम संवत में पूर्णिमा को महीना पूरा होता है। गुप्तवंश का काल 240 ईस्वी से 550 ईस्वी था। तो इस राजवंश में ऐसा कौन राजा हो गया जिसने 58 ईसा पूर्व पंचांग बनवा दिया? भारतीय नववर्ष वास्तव में भारत के राष्ट्रीय पंचांग शक संवत पर आधारित है। न कि विक्रम संवत पर। मुझे लगता है बच्चों को यह बाल कविता गुमराह करेगी। कृपया अपनी कविता पर पुनर्विचार करें। सादर

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