दिवाली का आशय
काव्य साहित्य | कविता शैली1 Nov 2021 (अंक: 192, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
हृदय की दीवारों को चमका लिया यदि
दिवाली का आशय समझने लगे हो
जलन ईर्ष्या के मिटाये जो धब्बे
दिवाली का आशय समझने लगे हो
अगर झाड़ फेंकी निराशा जगत की
दिवाली का आशय समझने लगे हो
घरों को सजाया अगर मित्रता से
दिवाली का आशय समझने लगे हो
जो सौहार्द का स्नेह डाला दियों में
दिवाली का आशय समझने लगे हो
उमंगों की बाती जलाई जो तुमने
दिवाली का आशय समझने लगे हो
लड़ें आस्था की अगर जगमगायीं
दिवाली का आशय समझने लगे हो
जो दीनों के दुःख से पिघलने लगे हो
दिवाली का आशय समझने लगे हो
हटाया तिमिर यदि उदासी का तुमने
दिवाली का आशय समझने लगे हो
सुखों से प्रकाशित किया यदि धरा को
दिवाली का आशय समझने लगे हो
अगर हर्ष-उल्लास बाँटा सभी में
दिवाली का आशय समझने लगे हो
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