जाने क्यूँ?
काव्य साहित्य | कविता शैली15 Sep 2021 (अंक: 189, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
मेरे अंदर का कवि
दिन में सोता, रात में जागता
जाने क्यूँ,
सुख में रोता, दुःख में हँसता
जाने क्यूँ,
जन्म पर दुखी, मृत्यु पर खुशी
जाने क्यूँ
शान्ति में उदास, संहार में हास
जाने क्यूँ
मेरा मन
रात, संहार, मृत्यु, पर दुःखी
जाने क्यूँ
दुःख, दर्द, भय
'अथ' से आरम्भ,
'इति' से ख़तम
फिर भी 'अंत' पर ग़म
जाने क्यूँ ?
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टिप्पणियाँ
RANJANA 2021/09/10 04:39 PM
Kavita bahut achhi lag.
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Sarojini 2021/09/11 09:49 AM
वाह वाह वाह!!!