प्यौर (Pure) हिंदी
काव्य साहित्य | कविता शैली15 Sep 2024 (अंक: 261, द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)
हिन्दी भाषा का हुआ, लेशमात्र भी ज्ञान,
लिख करके कुछ पंक्तियाँ, करते हैं अभिमान।
इंग्लिश, उर्दू का जिन्हें, होता उत्तम ज्ञान,
हिन्दी भाषा का उन्हें, मिलता है सम्मान।
गणना कर के देख लें, सम्मानित जो नाम,
उर्दू, इंग्लिश ज्ञान से मिलता है इनाम।
हिन्दी में यदि ना रहें, इंग्लिश, उर्दू शब्द,
उपन्यास कविता कथा, लगती एकदम व्यर्थ।
हिन्दी की जो व्याकरण, कर देते हैं ध्वस्त,
श्रोतागण की तालियाँ, मिलती उनको मस्त।
ख़ालिस हिन्दी में अगर, लिखा आपने लेख,
हिन्दी के मर्मज्ञ तक, हो जाते हैं फ़ेल।
शुचितम हिन्दी में लिखें, छंद निबंध रिपोर्ट,
चौथाई हिस्सा नहीं, समझ सकेंगे लोग।
बहुत शुद्ध हिन्दी अगर, करते आप प्रयोग,
ज्ञान प्रदर्शन का त्वरित, लगता है अभियोग।
लिखें शुद्धतम रूप में, हिन्दी कभी जनाब!
होगी यूँ आलोचना, ज्यों गो-वध का पाप॥
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