वो मुलाक़ात
हास्य-व्यंग्य | हास्य-व्यंग्य कविता शैली15 Apr 2024 (अंक: 251, द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)
मृत्यु के बाद, हुई यमराज से मुलाक़ात
मैंने प्रणाम किया, आशीष मिला
पूछ ही लिया, क्यों यहाँ लाये हैं?
क्या मैंने ज़िन्दगी में पाप ही कमाये हैं?
यमराज बोले पाप से मृत्यु का कोई सम्बन्ध नहीं
मरते दोनों हैं पुण्यार्थी या घोर पापी
मैंने पूछा मुझे नर्क मिलेगा या स्वर्ग?
यमराज बोले, ये तो समय बतायेगा
तुम्हारा समय स्वर्ग में बीतेगा या नर्क दिखायेगा
तुम्हें ज़िन्दगी का हिसाब देना होगा
क्या भला किया क्या बुरा, खुल के कहना होगा
हाथ जोड़ कर कहा—
मैंने तो सब भला किया,
लोगों को ये बात समझ में नहीं आयी
मेरी बातों की व्याख्या में दूसरों ने अक़्ल लगायी
आपको स्वयं मेरे काम देखने थे,
आप तटस्थ हैं, पूर्वाग्रह ग्रस्त नहीं थे
ऐसे लोग पृथ्वी पर मिलते नहीं हैं
चिढ़ें नहीं तो दिन चलते नहीं हैं
ऐसों की बात का मतलब नहीं है
उनकी गवाही की क़ीमत नहीं है
सैकड़ों मित्र थे हज़ारों फ़ालोवर हैं
फ़ेसबुक पर देखिये हमारी क्या क़ीमत है
यम ने हमारे 'फ़िफ़्टी के' फ़ालोवर देख कर
हमें छोड़ा था भूमि पर, इज़्ज़त के साथ
फ़्रेंड रिक्वेस्ट भी भेजी, फ़ेस बुक, इन्सटा के साथ
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टिप्पणियाँ
डॉ पदमावती 2024/04/06 11:21 AM
वाह फ़ेसबुक का दमख़म हमें आज समझ आया । मज़ेदार रोचक । हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ
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Neelam 2024/04/09 08:09 PM
अच्छी पर अधूरी सी लगी