मर्द माफ़ करें
हास्य-व्यंग्य | हास्य-व्यंग्य कविता शैली1 Sep 2021 (अंक: 188, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
हमारे देश के पुरुषों में
पुरुषत्व, पौरुष, पुरुषार्थ, के अलावा
फ़ोर्थ डायमेंशन भी होता है
जिसे 'इन जनरल'
"मर्दानगी" कहा जाता है
यूँ तो ये पूरे भारत की ख़ूबी है
लेकिन यूपी, बिहार, हरियाणा, पंजाब में
कुछ ज़्यादा ही होती है
और
मर्दानगी दिखाई जाती है . . .
बहुधा ससुराल में
घर-परिवार में
शादी, बारात में
मोहल्ले, बाज़ार में,
नंग-नाच करने में
चुन्नियाँ खींचने में
फ़ब्तियाँ कसने में
गालियाँ देने में
दबंगई करने में
बे-बात झगड़ने में
लेकिन . . .
बच्चे को पढ़ाने में
बीवी का हाथ बँटाने में
रोते को हँसाने में
भूखे को खिलाने में
डूबते को बचाने में
गिरते को उठाने में
बुज़ुर्गों को थामने में
घायल को अस्पताल पहुँचाने में
बेकार, लाचार हो जाती है
काश . . .
ये काम आती
खेलने में,
मैडल जीतने में
धन्धे रोज़गार में
आपदा, सैलाब में
सीमा पर लड़ने में
आतंकियों से भिड़ने में
तब ये मर्दानगी, पुरुषार्थ बन जाती
चौथे डायमेंशन से तीसरे में आ जाती
सिर्फ़ भौकाल1 नहीं, ख़ूबी बन जाती
1. भौकाल= पूर्वी उत्तर प्रदेश, ख़ास करके लखनऊ के आसपास के इलाक़ों में, बढ़चढ़ अपनी शेखी बघारने, अपना प्रभाव दिखने के अर्थ में प्रयोग में आता है।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
जयंती नयन 2021/08/26 08:52 PM
एकदम सही
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
- अप्रतिहत
- अमृत जयन्ती तक हिन्दी
- आराधना
- उचित क्या है?
- एकता का बंधन
- क्वार का मौसम सुहाना
- खोज
- ग्रहण में 'शरतचंद्र'
- चाँद पर तीन कवितायें
- जलता यूक्रेन-चहकते चैनल
- जादू की परी?
- जाने क्यूँ?
- डिजिटल परिवार
- त्रिशंकु सी
- दिवाली का आशय
- देसी सुगंध
- द्वंद्व
- पिता कैसे-कैसे
- प्यौर (Pure) हिंदी
- प्राचीन प्रतीक्षा
- फ़ादर्स डे और 'इन्टरनेटी' देसी पिता
- फागुन बीता जाय
- फागुनी बयार: दो रंग
- माँ के घर की घंटी
- ये बारिश! वो बारिश?
- विषाक्त दाम्पत्य
- शब्दार्थ
- साल, नया क्या?
- सूरज के रंग-ढंग
- सौतेली हिंदी?
- हिन्दी दिवस का सार
- होली क्या बोली
हास्य-व्यंग्य कविता
किशोर साहित्य कविता
कविता-ताँका
सिनेमा चर्चा
सामाजिक आलेख
ललित निबन्ध
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं
डॉ पदमावती 2021/08/27 05:19 PM
कमाल है शैली जी ।बधिया उधेड़ कर रख दी आपने तो । बहुत ख़ूब । मर्दानगी को सही परिभाषित किया है । सही पकड़े हैं