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हिन्दी दिवस का सार 

 

ठान लें कि हिन्दी को मन से अपनायेंगे, 
इक अहिंदी भाषी को हिन्दी सिखायेंगे, 
अशुद्ध जो लिखें उन्हें शुद्धता बतायेंगे, 
किसी ‘साइन बोर्ड’ को ‘सूचना-पट’ बनायेंगे, 
हिन्दी दिवस का तब, सार समझ पायेंगे। 
 
बच्चों को हिन्दी की वर्तनी पढ़ायेंगे, 
गीता, रामायण से परिचित करायेंगे, 
भाषा व संस्कृति का, गौरव बतायेंगे
क्यों हम ग़ुलाम बने, कारण समझायेंगे 
हिन्दी दिवस का तब, सार समझ पायेंगे। 
 
हेलो-हाय, ओके-बाय सब भूल जायेंगे
प्रणाम, नमस्कार, विदा आचरण में लायेंगे, 
जन्मदिवस, प्रात, रात हैप्पी ना होवेंगे, 
शुभ, मंगल, साधुवाद, आशीष बोलेंगे, 
हिन्दी दिवस का तब, सार समझ पायेंगे। 
 
अंग्रेज़ी बोल कर, जब रोब नहीं झाड़ेंगे 
हिन्दी को पिछड़ों की, भाषा न मानेंगे 
हिन्दी में बोलते हम, जब ना लजायेंगे 
हिन्दी को ही अपनी, अस्मिता बनायेंगे, 
हिन्दी दिवस का तब, सार समझ पायेंगे। 
 
आयोजन करने से हिन्दी ना आयेगी, 
कविताई करने से हिन्दी ना छायेगी, 
भारत के गौरव से, हिन्दी को जोड़ेंगे
अंग्रेज़ी पढ़कर भी, हिन्दी जब बोलेंगे 
हिन्दी दिवस का तब, सार समझ पायेंगे। 

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