मांँ
काव्य साहित्य | कविता चेतना सिंह ‘चितेरी’15 Oct 2022 (अंक: 215, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
मांँ से ही जीवन,
मांँ से ही सारी ख़ुशियांँ,
बिन मांँगे मेरी जो मुराद पूरी कर दे,
कोई और नहीं,
मेरी मांँ है।
मांँ का किन शब्दों में करूंँ मैं गुणगान,
जिस ने दिया मुझे अच्छा संस्कार,
जिसके आशीर्वाद से आज मैं जो कुछ भी हूंँ,
कोई और नहीं,
मेरी मांँ है।
मांँ का प्यार अमृत की वर्षा,
मांँ की डांँट में भी शहद टपकता,
मेरे चेहरे पर ना आए कोई शिकन,
मेरे होंठों पर जो मुस्कुराहट बिखेरे दे,
कोई और नहीं, मेरी मांँ है।
दिली इच्छा है मेरी मांँ!
हर जन्म में मांँ! मैं तुझको ही पाना चाहूंँ,
मेरे उत्तम स्वास्थ्य की प्रार्थना जो दिन–रात करें,
कोई और नहीं,
मेरी मांँ है।
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