शतरंज की चाल
काव्य साहित्य | कविता चेतना सिंह ‘चितेरी’15 Dec 2022 (अंक: 219, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
हमारी सूझ-बूझ हमारे जीवन को सफल बनाती है,
सफलता मिले ज़िन्दगी! में,
कभी-कभी मुझे शतरंज की चाल चलनी पड़ती है।
मैं सोच समझकर निर्णय लेती हूँ,
नित क़दम आगे बढ़ाती हूँ,
कठिन परिस्थितियों में भी! समस्या का समाधान करती हूँ,
ज़िन्दगी में ज़फ़र मिलें,
उसके लिए कभी-कभी मुझे शतरंज की चाल चलनी पड़ती है।
अपनी मंज़िल के सफ़र में हारते हुए जीत जाती हूंँ,
हर किसी की प्रेरणा बनती हूंँ,
ज़िन्दगी में कामयाबी के शिखर तक पहुँचने के लिए,
मुझे कभी-कभी शतरंज की चाल चलनी पड़ती है।
देती है ज़िन्दगी! हमें चुनौती,
मैं उसे हँसकर हर रोज़ स्वीकार करती हूंँ,
हमारी सूझ-बूझ हमें सफल बनाती है,
ज़िन्दगी! में विजय प्राप्त करने के लिए,
कभी-कभी मुझे शतरंज की चाल चलनी पड़ती है।
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