आशीर्वाद
काव्य साहित्य | कविता चेतना सिंह ‘चितेरी’15 Dec 2022 (अंक: 219, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
बड़े बुज़ुर्गों से मिलता आशीर्वाद
बेटी तुम हो! माँ सीता! जैसी;
त्याग समर्पण की देवी, साक्षात् लक्ष्मी,
जिस घर में जाओगी बिटिया!
वह घर ख़ुशियों से भर जाएगा,
मांँ सीता के जैसे ही; तुममें प्रेम है,
धैर्यता, गंभीरता, परिस्थितियों का सामना,
तुम बख़ूबी कर लेती हो!
बड़ा भाग्यशाली होगा! वह वर!
तुम्हारा जीवन साथी जो बनेगा,
देवी सीता की जैसे ही;
ना तुममें मद, ना लोभ,
कहांँ राजमहल कहांँ वन,
वैसे ही; तुम्हारे लिए
क्या शहर! क्या गांँव!
अपने आपको हर परिस्थितियों में ढाल लेती हो!
बड़े बुज़ुर्गों से मिलता है आशीर्वाद,
बेटी तुम हो! माँ सीता! जैसी।
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