मेरी बात अधूरी रह गई
काव्य साहित्य | कविता चेतना सिंह ‘चितेरी’1 Nov 2022 (अंक: 216, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
तुमसे मिलने आई थी,
कहनी थी तुमसे एक बात,
तुमको देख कर भूल गई,
तुम्हें देखती रह गई सारी रात,
बात अधूरी रह गई।
दिल का क्या सुनाऊँ तुम्हें हाल
तेरे सिवाय ना आए कोई ख़्याल
मन की बात, मेरे मन में रह गई,
वह बात अधूरी रह गई।
संदेश तुम तक कैसे पहचाऊँ,
तुम बिन कहीं अच्छा लगता नहीं,
फोन, मैसेज करके भी पूरी ना होगी बात,
तुमसे मिलना हमारा ज़रूरी हो गया,
मेरी बात अधूरी रह गई।
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