बदलेंगे सितारे मेरे भी
काव्य साहित्य | कविता चेतना सिंह ‘चितेरी’1 Nov 2025 (अंक: 287, प्रथम, 2025 में प्रकाशित)
बदलेंगे सितारे मेरे भी,
हम भी सफल हो जाएँगे एकदिन।
बीच राहों में खड़े हैं,
ढूँढ़ेंगे तो मंज़िल मिल जाएगी,
बदलेंगे ग्रह-नक्षत्र मेरे भी,
हम भी सफल हो जाएँगे एकदिन।
मन में आशाओं के दीपक जले,
आँखों में उम्मीद की किरण दिखे,
धीरे-धीरे क़दम आगे बढ़ाते चले,
बदलेंगे हालात मेरे भी,
हम भी सफल हो जाएँगे एकदिन।
अब तो रिश्ते बस नाम के हैं,
चंद काग़ज़ के टुकड़ों के लिए,
टूट गई दोस्ती मेरी भी,
हम भी सफल हो जाएँगे एकदिन।
चुनौतियाँ भी कम नहीं है,
नई दिशाएंँ, नये मार्ग पर है चलना,
पर, हौसले मेरे अडिग हैं,
एकदिन मंज़िल भी मिल जाएगी,
हम भी सफल हो जाएँगे एकदिन।
हम रुकेंगे नहीं, हम थकेंगे नहीं,
आत्मसम्मान है, हम झुकेंगे नहीं,
यह समय भी बदल जाएगा,
छँट जाएँगे सब घने अँधेरे भी,
हम भी सफल हो जाएँगे एकदिन।
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