साथ हूँ मैं तुम्हारे
काव्य साहित्य | कविता कुमकुम कुमारी 'काव्याकृति'15 Feb 2025 (अंक: 271, द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)
अजी क्यों निगाहें चुराए खड़े हो,
कहो बात क्या है छुपाए खड़े हो।
सुनो मीत मेरे मुझे ना सताओ,
करो बात यारा जिया ना जलाओ॥
परेशान हो क्यों पिया जी हमारे,
बताओ हमें जो चित्त में तुम्हारे।
ज़रा पास आओ अक्षि ना चुराओ,
कहो बात क्या है हमें तो बताओ॥
लगा लूँ गले से अजी पास आओ,
निगाहें मिलाओ ज़रा मुस्कुराओ।
सदा से रहूँगी पिया मैं तुम्हारी,
तुम्हारे बिना क्या सत्ता है हमारी॥
चलो संग मेरे कमी को मिटाओ,
कहो हाल यारा हिया से लगाओ।
हमें आप दे दो अजी दर्द सारे,
मनोयोग से साथ हूँ मैं तुम्हारे॥
करो ना किनारा ज़रा पास आओ,
अकेले सखा यूँ अश्रु ना बहाओ।
कहो आप भी हो सदा से हमारे,
चलो देखते क्या रम्य है नज़ारे॥
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