पिता
काव्य साहित्य | दोहे कुमकुम कुमारी 'काव्याकृति'1 Jul 2024 (अंक: 256, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
पितृ दिवस पर आज सभी, करते पितृ को याद।
पाकर आशीष पितृ से, होते ख़ुश औलाद॥
मात-पिता के स्थान का, करता जो नित ध्यान।
बिन पोथी के ज्ञान ही, मिलता उसे सम्मान॥
रहता जिसके सिर सदा, मात-पिता का हाथ।
होता उस औलाद का, हरपल जग में गाथ॥
पिता से ही रौशन है, बच्चों का संसार।
उनके ही संभार से, पाता वो आकार॥
बाबा बच्चों के लिए, होते अग्नि समान।
रक्षक बन रहते सदा, ताने तीर कमान॥
वंश की रक्षा के लिए, करते हैं हर काम।
कैसे सुत आगे बढ़े, सोचते सुबह शाम॥
बच्चों की सुख के लिए, तात हैं परेशान।
बच्चों को भी चाहिए, रखना उनका ध्यान॥
होते है माता-पिता, धरती के भगवान।
काव्या कहती है सदा, रखना उनका मान॥
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