प्यारी मुस्कान, चेहरे की शान
काव्य साहित्य | चम्पू-काव्य कुमकुम कुमारी 'काव्याकृति'1 Aug 2021 (अंक: 186, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
अगर न हो चेहरे पर, प्यारी सी मुस्कान।
तो बेकार लगता है, लाखों का परिधान॥
जी हाँ, मुस्कान ही वह शृंगार है जो किसी के भी सौंदर्य में चार चाँद लगा देती है। आप चाहे कितना भी क्यों न सज-सँवर जाएँ अगर आपके चेहरे पर मुस्कान नहीं तो आपका सजना-सँवरना फीका लगने लगता है। मुस्कान एक ऐसा सौंदर्य प्रसाधन है; जिसने भी इसका शृंगार कर लिया वो कोई और शृंगार करे न करे उसकी ख़ूबसूरती दूसरों को आकर्षित करती है, इतना ही नहीं यह दूसरों के चेहरे पर भी मुस्कान लाने का काम करती है और उसे भी ख़ूबसूरत बना देती है। परंतु इस सौंदर्य प्रसाधन को न तो हम बाज़ार से ख़रीद सकते हैं और न ही किसी ब्यूटी पार्लर से प्राप्त कर सकते हैं। इसे तो हमें अपने मन-मंदिर के अंदर ही रोपित, सिंचित व फलित करना होता है।
मुस्कान न बाग उपजे,
न हाट ही यह बिकाय।
इधर-उधर मत ढूँढ़ ऐ बन्दे,
यह तो तेरे अंदर है समाय।
बिल्कुल सही! लाख करोड़ ख़र्च कर भी हम मुस्कान को यानी ख़ुशी को नहीं ख़रीद सकते हैं। हमारे चेहरे पर हर हमेशा एक प्यारी सी मुस्कान हो इसके लिए आवश्यक है कि हमारा चित्त आनन्दित हो और हमारा चित्त तभी आनन्दित होगा जब हमारे मन-मस्तिष्क में सकारात्मक विचारों का संचार ज़्यादा से ज़्यादा होगा। हमारे विचार सकारात्मक हों इसके लिए आवश्यक है कि हम दूसरों में अच्छाई देखें। जब हम अच्छा देखेंगे, अच्छा सोचेंगे तो निश्चय ही हमारा चित्त निर्मल होगा और हमें आनंद की अनुभूति होगी।
जब हमारा मन आनंदित होगा
तो निश्चय ही हमारे चेहरे पर
एक प्यारी सी मुस्कान होगी
जो हमारे चेहरे की शान होगी।
तो आइए खुल कर मुस्कुराइए और अपने चेहरे की शान बढ़ाइए!
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