लुटा दूँ ख़ुशी अपनी
काव्य साहित्य | गीत-नवगीत कुमकुम कुमारी 'काव्याकृति'1 Mar 2023 (अंक: 224, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
चले आओ पनाहों में, निगाहें राह तकती हैं।
बताए क्या तुझे दिलवर, तुझी में जान बसती है॥
सुनो सजना तुझे मैंने, तहे दिल से पुकारा है।
चले आओ सजन मेरे, बड़ा दिलकश नज़ारा है॥
बहारों ने फ़िज़ाओं में, गुलों को यूँ खिलाया है।
लगे जैसे कि अम्बर में, घटा घनघोर छाया है॥
चले आओ सनम मेरे, बड़ा मधुरिम सवेरा है।
हमारे रूह के भीतर, पिया तेरा बसेरा है॥
बताओ बात क्या है जो, नज़र को यूँ चुराए हो।
बता दो ना सनम मेरे, कसक को क्यों छुपाए हो॥
बिना देखे तुझे जानम, नयन प्रतिपल बरसता है।
करूँ क्या मैं बता दो तुम, जिया मेरा तड़पता है॥
करूँ मैं बंदगी तेरी, फ़क़त इतनी इनायत है।
किसी से भी मुझे हमदम, नहीं कोई शिकायत है॥
ज़रा कर दो इशारा तुम, मिटा दूँ हर अलम तेरे।
लुटा दूँ हर ख़ुशी अपनी, तुझी पे ओ सनम मेरे॥
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