रखेंगे ध्यान
बाल साहित्य | किशोर साहित्य कहानी कुमकुम कुमारी 'काव्याकृति'15 Sep 2022 (अंक: 213, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
“बेटा यह क्या कर रहे हो? क्यों कचरे की बाल्टी में हाथ डाल रहे हो?”
“माँ मैं कचरे में से पॉलीथिन निकाल रहा हूँ। देखो न माँ, कामवाली बाई ने कितनी पॉलीथिन इसमें डाल रखी है।”
“हाँ तो रहने दो न। तुम क्यों उसे छू रहे हो?”
“माँ पता है आज स्कूल में मैडम बता रहीं थीं कि पॉलीथिन बहुत नुक़्सानदायक होता है। मैडम कह रहीं थीं
जब हम पॉलीथिन में बचा हुआ खानाया फिर सब्ज़ी और फल के छिलके को डाल कर फेंक देते हैं तो उस खाना को जानवर खाते हैं। खाना के साथ-साथ जानवर पॉलीथिन को भी निगल जाते हैं। जिससे जानवर को बहुत नुक़्सान होता है।
“माँ जानवर भी तो हमारे मित्र होते हैं न और गाय तो हमारी माँ समान होती है। हम तो रोज़ ही गाय के दूध को ही पीते हैं। इसलिए माँ हमें हमारे पशुमित्र की मदद करनी चाहिए।
“माँ मैडम बताती हैं पशु तो बेज़ुबान होते हैं। हमें उनकी देखभाल करनी चाहिए।”
“हाँ बेटा तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो। आज से मैं यह क़सम खाती हूँ कि अब आगे से हमारे घर में पॉलीथिन का प्रयोग नहीं होगा।”
“मेरी प्यारी माँ!”
“मेरा प्यारा बेटा!!”
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