ज़रा याद करो क़ुर्बानी
काव्य साहित्य | चम्पू-काव्य कुमकुम कुमारी 'काव्याकृति'15 Aug 2021 (अंक: 187, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
स्वतंत्रता दिवस के पावन बेला में,
आओ हम शुभ काम करें।
देश को सम्प्रभु बनाने में,
अपना भी कुछ योगदान करें।
आज हमारा देश आज़ादी की 75 वीं वर्षगाँठ पूरे हर्षोउल्लास से मना रहा है। हर तरफ़ ख़ुशियाँ ही ख़ुशियाँ हैहीम। तरह -तरह के रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। देश के कोने-कोने से भारत माँ के जयकारे की गूँज सुनाई दे रही है। हर भारतवासी आज ख़ुश है, आनंदित है। आज का दिन हम सब भारतवासियों के लिए बड़े ही गौरव का दिन है। एक दूसरे को गले लगाकर बधाइयाँ देने, मिठाइयाँ खाने-खिलाने के साथ-साथ आज का दिन भारत माँ के उन वीर शहीदों को याद करने का भी है, जिन्होंने अपनी जान की क़ुर्बानी देकर हमें यह आज़ादी दिलाई है। भारत माँ के पैरों में बँधी ग़ुलामी की बेड़ियाँ तोड़ने के लिए न जाने कितने भारत के वीर सपूतों ने अपनी जान की क़ुर्बानियाँ दी हैं। आज हम जिस आज़ादी का जश्न मना रहे हैं उसे प्राप्त करने के लिए हमारे कितने स्वतंत्रता सेनानियों ने हँसते-हँसते फाँसी के फंदों को अपने गले लगा लिया।
मातृभूमि के रज से जिसने,
माथे तिलक लगाया।
फाँसी के फंदों को जिसने,
हँसकर गले लगाया।
देश को आज़ाद कराने की,
जिसने मन में थी ठानी।
आओ बच्चों तुम्हें सुनाए,
उनकी अमर कहानी।
जी हाँ, आज का दिन हमें हमारे बच्चों को यह बताने का दिन कि जिस स्वतंत्र भारत में हम आज स्वतंत्रता पूर्वक सम्मान से ज़िंदगी जी रहे हैं इसे प्राप्त करने में हमारे अपने ही अपनी ख़ून की नदियाँ बहाई हैं। अँग्रेज़ों की तरह-तरह की यातनाओं को सहा है। काल-कोठरी में डाले गए, कोड़े से पीटे गए, अँग्रेज़ों की गोलियाँ खाईं, फाँसी के फंदों पर चढ़ाए गए। अपने उन वीर शहीदों की क़ुर्बानियों की वज़ह से ही आज हम आज़ादी का रसास्वादन कर पा रहे हैं।
हज़ारों क़ुर्बानियाँ देकर,
यह आज़ादी हमने है पाई।
भारत माँ की रक्षा करने की,
क़समें हमने हैं खाई।
आज़ादी हमें अँग्रेज़ों द्वारा दिया गया कोई उपहार नहीं है, बल्कि इसे प्राप्त करने के लिए हमने हज़ारों-हज़ार क़ुर्बानियाँ दी हैं, यातनाएँ झेली हैं। इसलिए स्वंतंत्रता दिवस के इस पावन अवसर पर हम उन वीर शहीदों को नमन करते हैं और यह संकल्प लेते हैं कि किसी भी क़ीमत पर हम भारत माँ के आँचल में अब कोई दाग़ लगने नहीं देंगे। देश हमारे लिए सर्वोपरि है। इसकी रक्षा हमारा परम् कर्तव्य है।
हे भारत के वीर शहीदों,
तुझको मेरा सलाम है।
झुकने नहीं देंगे तिरंगे को हम,
जब तक देह में जान है।
जय हिन्द जय भारत!
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