मोहन प्यारा
काव्य साहित्य | कविता कुमकुम कुमारी 'काव्याकृति'1 Sep 2022 (अंक: 212, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
मोर मुकुट सिर पर सोहे
गले वैजन्ती माल है
माँ यशोदा के लल्ला का
घुँघरल-घुँघरल बाल है।
कितना प्यारा, कितना सुंदर
नंद बाबा का सुकुमार है
कानों में कुंडल शोभे
नैनों में कजरे की धार है।
माखन चोर, नंदकिशोर
देवकी का आठवाँ लाल है
गोपियों संग रास रचाए
कंस का ये काल है।
ग्वाल-बाल संग गैय्या चराए
सबका पालनहार है
राधा संग कान्हा विराजे
जग करता जय-जयकार है।
कान्हा प्यारा मुरलीवाला
श्री हरि का अवतार है
कर के मध्य में चक्र सोहे
करता दुष्टों का संहार है।
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