आओ मतदान करें
काव्य साहित्य | कविता कुमकुम कुमारी 'काव्याकृति'15 Apr 2024 (अंक: 251, द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)
देश की आज़ादी को अगर
अक्षुण्ण बनाए रखना है।
तो सोच-समझ व जाँच-परखकर
नेता को हमें चुनना है॥
अपनी पिछली पीढ़ियों के
त्यागों का मान यदि रखना है।
तो उठो देश के मतदाताओं
मतदान हमें करना है॥
एक-एक मत महत रखता
इस दृष्टिकोण को बनाना है।
जनतंत्र के महापर्व में
ज़िम्मेवारी को निभाना है॥
शासन का यह तंत्र उत्तम
लोकतंत्र को बचाना है।
योग्य नेताओं का चयन कर
शासक उन्हें बनाना है॥
हम ख़ास हैं राष्ट्र के ख़ातिर
इस विश्वास को जगाना है।
सोए हुए मतदाताओं को
जागरूक हमें बनाना है॥
प्रथम बार जो मतदान करेंगे
उनको राह दिखाना है।
स्वार्थसिद्धि से ऊपर उठकर
देश को समृद्ध बनाना है॥
सब कुछ पाते हम देश से
देश के ख़ातिर कुछ करना है।
आया मतदान का शुभ दिन
मतदान निःसंदेह करना है॥
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
- अब ये क़दम ना पीछे हटेंगे
- अभिलाषा
- अमरों में नाम लिखा लेना
- आओ मतदान करें
- आदिशक्ति मात भवानी
- आयो कृष्ण कन्हाई
- आसमान पर छाओगे
- करना होगा कर्म महान
- कर्मनिष्ठ
- कर्मयोगी
- किस आस में तू खड़ा
- कुछ नवीन सृजन करो
- कृष्ण भजन
- चले वसंती बयार
- देवी माँ
- धरती की पुकार
- नव निर्माण
- नव संवत्सर
- नवदुर्गा
- पुरुष
- प्रीत जहाँ की रीत
- बेटी धन अनमोल
- माता वीणापाणि
- मुट्ठी में आकाश करो
- मेघा रे
- मेरा गाँव
- मेरी क़लम
- मोहन प्यारा
- युगपुरुष
- राम भजन
- रामलला
- वन गमन
- वेदमाता भवानी
- शिक्षक
- श्रीहरि
- साथ हूँ मैं तुम्हारे
- सुनो कन्हैया
- स्वामिनी थी जो संसार की
- हमारा बिहार
- होली
- ख़ुद को दीप्तिमान कर
- ज़रा रुक
ललित निबन्ध
दोहे
गीत-नवगीत
सामाजिक आलेख
किशोर साहित्य कहानी
बच्चों के मुख से
चिन्तन
आप-बीती
सांस्कृतिक आलेख
किशोर साहित्य कविता
चम्पू-काव्य
साहित्यिक आलेख
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं