हमारा बिहार
काव्य साहित्य | कविता कुमकुम कुमारी 'काव्याकृति'1 Apr 2022 (अंक: 202, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
(चौपाई छंद)
भारत के ईशान विराजे।
मस्तक किरीट मणि बन साजे॥
इसकी महिमा है अति भारी।
जनक सुता की धरणी प्यारी॥
देवासुर जब जलधि मथाया।
मंदार को मथनी बनाया॥
चौदह रत्न यहाँ से पाया।
विश्व को अमृत कलश दिलाया॥
शासन का नया अर्थ बताया।
जन को गण का सार सुनाया॥
लिक्ष्वी को गणराज्य बनाया।
दुनिया को नया राह दिखाया॥
विद्यापति की धरा निराली।
इसकी गाथा गौरवशाली॥
देवों ने यहाँ घर बनाया।
ऋषियों ने भी ध्यान लगाया॥
बुद्ध ने ज्ञान यहीं से पाया।
जीवन का आदर्श बताया॥
अष्टमार्ग पर चलना सिखाया।
विश्वशांति का पाठ पढ़ाया॥
चाणक्य की प्रकृति निराली।
लोहा माने दुनिया सारी॥
राजनीति का पाठ पढ़ाया।
आर्यवर्त को समृद्ध बनाया॥
नालंदा है शान हमारी।
इसकी माटी है गुणकारी॥
ज्ञान का यह केंद्र बना था।
अज्ञानता का तिमिर हरा था॥
कितना रम्य राज्य हमारा।
हमको है प्राणों से प्यारा॥
इसकी सदा हम गाथा गाये।
माटी से हम भाल सजाये॥
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