अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

मेरा पहला आँसू

 

मेरा पहला आँसू जब गिरा, 
शर्मिन्दा हो वो मुझसे बोला
 
तुमसे किया हुआ वादा निभा न सका, 
पलकों पे ख़ुद को और टिका न सका। 
 
आँसुओं का मेरे पीछे बड़ा सा रेला था, 
ढेरों थे वो और मैं बिल्कुल अकेला था। 
कोस रहे थे बहुत मुझे वो सभी मिलकर, 
ख़ुद नहीं गिरा मैं उन्होंने मुझे धकेला था। 
 
कह रहे थे कि, 
क़िस्मत ने घिनौना कोई खेल खेला था, 
इन सखियों ने ताउम्र दुख ही झेला था। 
खिलखिला रही थीं फिर भी ऐसे दोनों, 
एयरपोर्ट न होकर जैसे कोई मेला था। 
लोग तो अक़्सर रोते हैं जब बिछुड़ते हैं, 
इनका बिछुड़ना तो कुछ अलबेला था। 
 
उन आँसुओं का गिला था, 
तू आगे टिका रहा हमारे आगे अन्धेरा था, 
हम वो मंज़र कैसे देखें, यही झमेला था। 
ख़ुद को कब तलक रोक पाते इसीलिए, 
सब्र का बाँध तोड़ हमने तूझे धकेला था। 

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

'जो काल्पनिक कहानी नहीं है' की कथा
|

किंतु यह किसी काल्पनिक कहानी की कथा नहीं…

14 नवंबर बाल दिवस 
|

14 नवंबर आज के दिन। बाल दिवस की स्नेहिल…

16 का अंक
|

16 संस्कार बन्द हो कर रह गये वेद-पुराणों…

16 शृंगार
|

हम मित्रों ने मुफ़्त का ब्यूटी-पार्लर खोलने…

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

किशोर साहित्य कहानी

कविता

सजल

हास्य-व्यंग्य कविता

लघुकथा

नज़्म

कहानी

किशोर साहित्य कविता

चिन्तन

सांस्कृतिक कथा

कविता - क्षणिका

पत्र

सम्पादकीय प्रतिक्रिया

हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी

एकांकी

स्मृति लेख

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं