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मेरा पहला आँसू

 

मेरा पहला आँसू जब गिरा, 
शर्मिन्दा हो वो मुझसे बोला
 
तुमसे किया हुआ वादा निभा न सका, 
पलकों पे ख़ुद को और टिका न सका। 
 
आँसुओं का मेरे पीछे बड़ा सा रेला था, 
ढेरों थे वो और मैं बिल्कुल अकेला था। 
कोस रहे थे बहुत मुझे वो सभी मिलकर, 
ख़ुद नहीं गिरा मैं उन्होंने मुझे धकेला था। 
 
कह रहे थे कि, 
क़िस्मत ने घिनौना कोई खेल खेला था, 
इन सखियों ने ताउम्र दुख ही झेला था। 
खिलखिला रही थीं फिर भी ऐसे दोनों, 
एयरपोर्ट न होकर जैसे कोई मेला था। 
लोग तो अक़्सर रोते हैं जब बिछुड़ते हैं, 
इनका बिछुड़ना तो कुछ अलबेला था। 
 
उन आँसुओं का गिला था, 
तू आगे टिका रहा हमारे आगे अन्धेरा था, 
हम वो मंज़र कैसे देखें, यही झमेला था। 
ख़ुद को कब तलक रोक पाते इसीलिए, 
सब्र का बाँध तोड़ हमने तूझे धकेला था। 

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