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बड़ा मुँह छोटी बात

 

हैलो दीदी, कैसी हैं? आपको एक ख़ुशखबरी सुनानी थी कि बेटे नोनी ने अपने लिए लड़की ढूँढ़ ली है। दोनों चट मंगनी पट ब्याह करना चाहते हैं। इसलिए अगले महीने की पाँच को इन्गेज्मन्ट, और दो दिन बाद सात की ही शादी है। आप बस आने की तैयारी कर लें . . . “

“चलो सपना, यह तो तुमने बहुत अच्छी न्यूज़ सुनाई। लड़की कहाँ की है, घर-परिवार यहीं इंग्लैंड में हैं या इंडिया में?” 

“अरे नहीं नहीं दीदी, लड़की नोनी के साथ ही काम करती है। बहुत प्यारी है . . . चाइनीज़ डॉल की तरह . . . और परिवार चीन में . . . “

“क्या? क्या कहा चाइनीज़ है? . . . फिर तो हमारी कास्ट की भी नहीं . . . और मीट-अंडे खाने वाली ही होगी, है न!”

“फिर क्या हुआ दीदी! आजकल के ज़माने में ऐसी बातें कहाँ मायने रखती हैं!”

“लेकिन . . . लेकिन हमारी शिल्पा की शादी तय होने पर तो तुमने और जीजा जी ने आने से साफ़ इंकार कर दिया था . . . यह कहकर कि क्या अपनी बिरादरी में लड़का नहीं मिला, जो दूसरी कास्ट के लड़के से अपनी बेटी ब्याहने जा रहे हो? और वाक़ई हमें यहाँ विदेश में रहते अपनी बिरादरी का कोई शाकाहारी लड़का नहीं मिल पा रहा था . . . फिर इतना पढ़ा-लिखा, आदर व प्यार देने वाला यह वाला दामाद मिल गया तो न करने का सवाल ही पैदा नहीं होता था। यह दो साल पहले ही की तो बात है . . . तब तो तुमने यह नहीं कहा कि ‘आजकल के ज़माने में ऐसी बातें कहाँ मायने रखती हैं’! काश तुम लोग भी अपने परिवार के साथ आकर उस वक़्त हमारी ख़ुशी में शामिल होते, न कि ताने मार कर हमें नीचा दिखाने की . . .”

इस वार्तालाप ने आज सपना की आँखें खोल दीं कि सच में आदमी फ़रिश्ता तो नहीं बन सकता, लेकिन एक इंसान होने के नाते उसे अपने ‘बड़े मुँह से छोटी बात’ बोल कर दूसरों का दिल दुखाने का कोई अधिकार नहीं . . . क्योंकि क्या मालूम कल उसे भी ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ जाये! 

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