अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा यात्रा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

गंदगी फैलाने का परिणाम

आये दिन हमारे घर-गृहस्थियों, काम-काज, विद्यालयों इत्यादि से लेकर समाज तक में ऐसी-ऐसी चिंताएँ उभर कर सामने आ जाती हैं, जिन पर यदि चिंतन न किया गया तो शीघ्र ही वे कैंसर रूपी कीड़ा बनकर हमारे भीतर घर कर जायेंगी या नासूर बन इंसानियत को मिटा डालेंगी।

गंदगी फैलाने का परिणाम

ट्रैफ़िक-जैम होता देख उसने खीझ कर सिगरेट सुलगाई और कार की खिड़की खोलकर कश पर कश लगाने लगा। फिर दो मिनट के बाद जलती हुई सिगरेट वहीं खिड़की से बाहर बिना देखे फेंक दी . . . बिल्कुल उसी स्थल पर जहाँ कुछ देर पहले ही किसी दूसरी लॉरी/गाड़ी से पैट्रौल या तेल निकल कर फैला हुआ था। फिर क्या था! पल भर में ही आग लगते ही सबसे पहले उसी की कार आग की लपेट में आ गई। गर्म होने कारण ड्राइवर वाला दरवाज़ा अटक गया था। और भारी-भरकम होने के कारण वह पुरूष अपनी सीट से सरक कर साथ वाली सीट के दरवाज़े तक पहुँचना चाहकर भी पहुँच न पाया। जब तक दूसरे लोग दौड़ कर उसकी मदद करते . . . .बहुत देर हो चुकी थी।

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

25 वर्ष के अंतराल में एक और परिवर्तन
|

दोस्तो, जो बात मैं यहाँ कहने का प्रयास करने…

अच्छाई
|

  आम तौर पर हम किसी व्यक्ति में, वस्तु…

अनकहे शब्द
|

  अच्छे से अच्छे की कल्पना हर कोई करता…

अपना अपना स्वर्ग
|

क्या आपका भी स्वर्ग औरों के स्वर्ग से बिल्कुल…

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

हास्य-व्यंग्य कविता

किशोर साहित्य कविता

कविता

ग़ज़ल

किशोर साहित्य कहानी

कविता - क्षणिका

सजल

चिन्तन

लघुकथा

हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी

कविता-मुक्तक

कविता - हाइकु

कहानी

नज़्म

सांस्कृतिक कथा

पत्र

सम्पादकीय प्रतिक्रिया

एकांकी

स्मृति लेख

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं