ख़ुद ख़ुशी
काव्य साहित्य | कविता - क्षणिका मधु शर्मा15 Sep 2024 (अंक: 261, द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)
सुख-दुख आते हैं जाते हैं,
नाचते हैं हम गाते हैं
ख़ुद ख़ुशी मनाते हैं।
कमज़ोर हैं वो लोग
घबरा के जो झट से,
ख़ुदकुशी पे उतर आते हैं।
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