घिनौना बदलाव
कथा साहित्य | लघुकथा मधु शर्मा1 Jan 2015
रेनू की जेठानी की बहू एक दिन अपना सामान बांध, बच्चों सहित अचानक घर छोड़ कर चली गई। यह समाचार मिलते ही रेनू उनके घर अफ़सोस करने पहुँच गई। वहाँ एक-डेढ़ घंटा सहानुभूति जता जब वापिस घर लौटी तो यह ख़बर सुनाने को उतावली हुई रेनू झट से फोन पर फोन मिलाने लगी... कभी अपनी बहनों को, कभी सहेलियों को। उसकी आवाज़ में उसकी ख़ुशी साफ़ ज़ाहिर हो रही थी।
इस घटना के लगभग दो सप्ताह बाद रेनू को डॉक्टर के यहाँ जाना पड़ा। उसके डॉक्टर की सर्जरी उसकी जेठानी के घर के ही पास थी। जैसे ही वह कार दौड़ाती उनके घर के आगे से गुज़री तो एक नज़ारा देख उसका चेहरा पीला पड़ गया। क्या देखती है कि जेठानी की वही बहू अपने बच्चों को स्कूल ले जाने के लिए अपनी कार में बिठा रही है और उसकी जेठानी दरवाज़े पर खड़ी उन सबको ख़ूब हाथ हिला-हिला कर हँसती हुई बाए-बाए कर रही है।
उस दिन घर वापिस आकर रेनू ने बहुत टूटे मन से अपना फ़ोन सारा दिन रिसीवर से हटाए रखा।
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