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वाणी एक स्वामी जी की 

 

पदवी, पैसा, प्रतिष्ठा, पत्नी, पति और परिवार, 
कहीं न कहीं इनमें फँसा पड़ा है यह सब संसार। 
 
और कहते स्वामी जी, कब तक इन्हें पकड़े रहेंगे, 
मोह-माया के जाल में आप कब तक जकड़े रहेंगे। 
भीतर रहें संसार के, पर संसार भीतर आन न पाये, 
जन्म अनमोल मिला यह, मूर्ख लोग जान न पाये। 
समझदार हैं जो, इस बात की आज बाँध लें गाँठ, 
गुरु हमें बनाएँगे जो वही भवसागर को लेंगे लाँघ। 
 
प्रवचनों से प्रभावित हो पहुँच गये हम उनके धाम, 
आश्रम स्वर्ग समान व भव्यता देख हुए बहुत हैरान। 
अप्सराओं से घिरे हुए स्वामी जी का अद्भुत संसार, 
जीते-जी ही गुरुजी ने तो कर लिया भवसागर पार। 
पदवी, पैसा, पत्नी, संतान, सेवकों सहित परिवार, 
मोह-माया में डूबे हुए, यही उनके जीवन का सार। 

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