अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा यात्रा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

दुलार से पुकारे जानेवाले पुराने नाम

 

महल्ले हमारे में थी बच्चों की भरमार
लड़ते-झगड़ते लेकिन आपस में था प्यार। 
 
बिल्लू, बल्लु, बल्लो, बिल्ला व बिल्ली, 
भोले-भाले से थे भोलू, भोला और भोली। 
 
बिट्टो, बिट्टी, बिटिया का था बड़ा ही नाम, 
बॉबी, बबुआ और बब्बू लेकिन थे बदनाम। 
 
चोरी करते चिंकू, चिंकी, चंकी, चुन्नु, चीनी, 
फँस जाते बेचारे छोटू, छुट्टे या भाई चवन्नी। 
 
डरी-डरी सी रहतीं थीं डोडो, डड्डू व डिम्पल, 
डिप्पी, डिम्पी और डिंकी थीं बहुत सिम्पल। 
 
गोगी, गुग्गु, गुग्गी, गुड्डी और गुड़िया, 
ले आती गुड्डो सभी के लिए गुजिया। 
 
काकू, काके, कालिया की करनी, 
कुक्कु व किक्कु को पड़ती भरनी। 
 
मुन्ना, मुन्नु, मनु, मीनू और मुन्नी, 
मिली को मिल गईं मिम्मी व मिन्नी। 
 
नाचने में नम्बर वन नन्हू, निन्नी, नन्ही व नीटू, 
देख उन्हें ख़ुश होते निक्का, निक्की व निक्कू। 
 
पिन्कु, पिन्की, पिक्की, पारो, पम्मी और पुन्नी, 
पॉपी, पप्प सभी हड़प जाते पप्पू की पूरी पिन्नी। 
 
टप्पू, टीपू, टीटू, टुकटुक, टोक-टोक थक जाते, 
टिंका-टिंकी या कौन है टिंकू, सिर धुनते रह जाते। 
 
गिन्नी, हनी, गिक्की, मिक्की को कैसे भूल जायें, 
स्वागत है बच्चों यदि कुछ नाम आप भी जोड़ना चाहें।

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता

लघुकथा

सजल

स्मृति लेख

चिन्तन

हास्य-व्यंग्य कविता

किशोर साहित्य कविता

ग़ज़ल

किशोर साहित्य कहानी

कविता - क्षणिका

हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी

कविता-मुक्तक

कविता - हाइकु

कहानी

नज़्म

सांस्कृतिक कथा

पत्र

सम्पादकीय प्रतिक्रिया

एकांकी

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं