अपराधी कौन?
कथा साहित्य | लघुकथा मधु शर्मा15 Sep 2022 (अंक: 213, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
इतनी रात गये बाहर के दरवाज़े की घंटी सुनकर अरुण व उसकी पत्नी एक साथ हड़बड़ा कर जाग गये। दोनों ने खिड़की से झाँका तो पुलिस की एक कार घर के सामने खड़ी देखकर चकरा गये।
“लगता है मोहल्ले में फिर से कोई चोरी हो गई है . . . तुम यहीं रुको!” अरुण ने पत्नी को यह कहकर नीचे जाकर झट से दरवाज़ा खोला।
अपना परिचय देकर दो पुलिस ऑफ़िसर घर में आने की इजाज़त लेते हुए बैठक में आ गये। अरुण का नाम व पता पुष्ट करने के बाद उसे अपने साथ थाने जाने के लिए कड़ी आवाज़ में आदेश दिया। तब तक उसकी पत्नी भी गाऊन पहनकर वहाँ आ गई।
“लेकिन इन्होंने किया क्या है?” वह घबराई व काँपती आवाज़ में बोली।
“आपके घर के फोन से आपके दस साल के बेटे ने हमें बताया कि इन्होंने आज शाम उसे बहुत मारा पीटा। यहाँ इंग्लैंड का क़ानून तो आप भली-भाँति जानते ही हैं कि बच्चों की सुरक्षा (Child Protection) के लिए कड़े क़ानून बनाये गये हैं . . . फिर भी आप ने क़ानून की परवाह नहीं की और बच्चे को बुरी तरह पीट डाला!”
अरुण की आँखों के आगे अँधेरा छा गया। कहने लगा, “मेरे मना करने के बावजूद भी मेरा बेटा बुरी संगति में पड़ गया है . . . और आज तो उसकी पॉकिट में से नशे की पुड़िया निकली तो मैंने दो थप्पड़ लगाकर उसे उसके कमरे में भेज दिया था। अभी बुलाता हूँ उसे, आप ख़ुद पूछ लीजिए . . .”
“नहीं उसकी ज़रूरत नहीं। उससे हमने पूरी पूछताछ फोन पर ही कर ली थी। अब आपकी पूछताछ पुलिस-स्टेशन में ही होगी, चलिए।”
क़ानून का आदर करने वाला अरुण जिसने कभी ऑफ़िस या मोहल्ले वालों से भी कभी ऊँची आवाज़ में बात नहीं की थी, अपनी पत्नी को हौसला देते हुए चुपचाप उन दोनों ऑफ़िसर की कार में बैठ गया।
रास्ते भर भारी दिल और दिमाग़ से अरुण सोचता रहा कि जब वह सोलह बरस का था तो उसके पिता ने उसकी दस रुपये की चोरी पकड़ी जाने पर उसे कितना पीटा था। उसी पिटाई को हमेशा के लिए याद रखकर कोई बुरा काम करना तो क्या, सोचने की भी फिर से कभी उसकी हिम्मत न हुई . . .। जब अपने दस बरस के बेटे को महीनों से समझा-समझा कर हम दोनों थक गये तो . . . और आज दो चपत खाने पर वो सुधरने की बजाय हद से ज़्यादा प्यार करने वाले अपने ही डैडी को जेल भिजवाने पर क्यों तुल गया? अपराधी कौन है? मैं, मेरा बेटा या यहाँ का उदार क़ानून?
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सरोजिनी पाण्डेय 2022/09/15 05:39 PM
बहुत बढ़िया , भारतीय के परिवारों के लिए इस प्रकार के नियम- क़ानून बड़े विचित्र और दुखद हैं