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भारतीय भक्तों की भक्ति में मस्ती

गाँवों-शहरों में प्रवचन सुनाने प्रायः कई संत आते हैं, 
बीच-बीच में मधुर-मधुर भजनों की तान लगाते हैं। 
कुछ भक्तों की ओर देख तब बहुत आश्चर्य होता है, 
भजन के चलते उनमें होती जब नृत्य-प्रतियोगिता है। 
 
केवल एक-आध अपनी मस्ती में झूमते से दिखते हैं, 
बाक़ी तो किसी बारात के बाराती कूदते से लगते हैं। 
बेटियों को नाच के लिए माताएँ भी फिर उकसाती हैं, 
तो जवान बेटियाँ उनकी बढ़चढ़ कर ठुमके लगाती हैं। 
 
वास्तविकता अब कहीं जाकर ’मधु’ की समझ में आई, 
एक सखी ने जब इस प्रदर्शन की असलियत बतलाई, 
कि कुछ संतों के प्रवचन जब टीवी पर प्रसारित होते हैं, 
इन बालाओं को देख कई रिश्तेवाले आकर्षित होते हैं। 
 
भक्ति की आड़ में भक्तों की चाल पे दाद देनी ही पड़ेगी, 
दुख होगा परन्तु संतों को जब भनक इस बात की पड़ेगी। 

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