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पहली पहली धारणा

प्रोमोशन मिलने के बाद नियमानुसार कीर्ति का ट्रान्सफ़र समीप के ही दूसरे शहर में हो गया। 

नियमित दिन अपनी नयी नौकरी आरम्भ करने के लिए वह अपने नये ऑफ़िस पहुँची। उसका बॉस उसका स्टाफ़ का परिचय करवा रहा था और वह बड़ी सहजता से उन सभी से मिल रही थी। लेकिन दिल ही दिल में यद्यपि एक तरफ़ कुछ कर दिखाने का उत्साह था तो दूसरी तरफ़ इस नये वातावरण में इन अनजाने लोगों का विश्वास जीतने की तीव्र इच्छा मन में उद्वेग मचा रही थी। 

अपने साथ लाये आधा दर्जन फ़ोल्डर व नोट्स को अभी वह अपने कमरे में टिका ही रही थी कि एक दूसरे डिपार्टमैंट की मैनेजर उसके पास आई व बड़ी आत्मीयता से कीर्ति का स्वागत करते हुए अपना परिचय दिया, “हाय, आय'म टीना। मुझे तो जिस दिन से मालूम हुआ कि तुम मेरे पुराने ऑफ़िस से ट्रान्सफ़र हो कर आ रही हो, मैं बता नहीं सकती कि कितनी बेचैनी से तुम्हारा इंतज़ार कर रही थी।” 

कीर्ति ने चैन की साँस ली कि चलो, मैनेजर बनने पर यह नया उत्तरदायित्व सम्भालने व नये लोगों के बीच अपनी जगह बनाने में उसे अब अधिक समय न लगेगा। वह सोच रही थी कि यद्यपि वह टीना से पहली बार मिल रही थी लेकिन पुराने ऑफ़िस की बातें शेयर करते-करते टीना से ही वह इस ऑफ़िस के बारे कुछ सीख-समझ लेगी। 

टीना ने बेझिझक उसकी कुर्सी पर जमते हुए पूछा, “तो सोनिया, बॉब, माइक, मैरी वग़ैरह के क्या हाल हैं? पुराने सभी कलीग से मैंने फ़ेसबुक पर दोस्ती तो बनाये रखी है . . . लेकिन यहाँ ट्रान्सफ़र होने के बाद पिछले पाँच सालों में किसी से मिलना-जुलना नहीं हो पाया।” 

अपना सामान टिकाने के साथ-साथ कीर्ति बड़े उत्साह से टीना के हर प्रश्न का उत्तर दे रही थी . . . लेकिन पाँच-सात मिनटों में ही निराश हो गई। क्योंकि टीना द्वारा किसी भी पुराने सहकर्मियों के बारे पूछने पर कीर्ति उन लोगों की प्रशंसा कर रही थी . . . या तो किसी की मेहनत व लगन के बारे या फिर किसी के अच्छे स्वभाव के बारे . . . तो टीना झट से उसकी बात काटकर उन लोगों की कोई न कोई कमी बताने में लगी हुई थी। 

कीर्ति के दिमाग़ में करन्ट सा दौड़ा कि टीना जैसे लोगों से न तो दोस्ती भली और न ही दुश्मनी। बिन सोचे-समझे टीना पर विश्वास करने का मतलब होगा कि टीना द्वारा अपने बारे भी उल्टी-सीधी अफ़वाहें उड़वाना। बस फिर क्या था, नम्रतापूर्वक टीना से क्षमा माँगते हुए कीर्ति अपने बॉस से मिलने का बहाना कर दरवाज़े की ओर बढ़ी। टीना भी मन मार कर अपने कमरे की ओर चल दी। 

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