दुनियावाले क्या कहेंगे
हास्य-व्यंग्य | हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी मधु शर्मा15 Aug 2021 (अंक: 187, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
एक समझदार पति व पत्नी का दृष्टिकोण:
आज से 50 साल पहले: "क्या हुआ अगर हमारी बेटी की लव-मैरिज हो रही है, लेकिन अपनी जाति के ही लड़के से। किसी दूसरी जाति के लड़के से तो नहीं हो रही न! और दुनियावालों की चिंता न करें, वो तो कुछ दिन बातें बनाएँगे, फिर किसी और को पकड़ लेंगे।"
आज से 25 साल पहले: "क्या हुआ अगर दूसरी जाति के लड़के से वह शादी कर रही है, किसी गोरे या काले से तो नहीं कर रही न! दुनियावालों की चिंता न करें, वो तो कुछ दिन बातें बनाएँगे, फिर किसी और को पकड़ लेंगे।"
आज से 10 साल पहले: "चलो, गोरे/काले से सही, किसी ग़ैर मुल्क वाले से तो नहीं कर रही न! दुनियावालों की चिंता न करें, वो तो कुछ दिन बातें बनाएँगे, फिर किसी और को पकड़ लेंगे।"
आज: "चलो, किसी ग़ैर मुल्क वाले से सही, लैस्बीयन से तो नहीं कर रही न! दुनियावाले . . . कौन-से दुनिया वाले? हम जैसे लोगों से ही तो दुनिया बनी है न!"
आज से 10 साल बाद: "लैस्बीयन से ही सही, कम से कम अपनी जाति के लड़के से तो नहीं कर रही न . . . चलो अच्छा हुआ, ससुराल वालों की सारी उम्र की किचकिच वग़ैरह से बच गयी।"
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टिप्पणियाँ
पाण्डेय सरिता 2021/08/17 11:27 PM
बाप रे विचित्र कल्पना शक्ति और अनुभव
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मधु 2021/08/19 05:31 PM
बिल्कुल सही। 'यह हास्य-व्यंग्य पढ़कर 'बाप रे' उक्ति कुछ समय पश्चात 'सब चलता है' में बदलने जा रही है। यहाँ पश्चिम देशों में तो यह परिवर्तन आ ही चुका है। 'एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा' फ़िल्म देखकर यही लगा कि भारतवासी भी पाश्चात्य प्रभाव से बच नहीं पाये।