पिता होता है
काव्य साहित्य | कविता नरेंद्र श्रीवास्तव15 Jan 2023 (अंक: 221, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
पिता होता है
समुद्र-सा
शांत . . . गंभीर
सहनशील
पिता होता है
बरगद-सा
जिसकी
घनी छाँव में
परिवार
पाता है शीतलता
सुख-सुकून
पिता होता है
आकाश-सा
जिसके नीलेपन में
छुपा होता है, मौन
सूरज जैसी तपन में
होती है ललक
परिवार के लिए
सुख के उजाले में
ले जाने की
चंद्रमा-सी
होती है चमक
समृद्धि की
पिता होता है
उपवन-सा
जिसमें खिलते हैं
पुष्प
कामयाबी के
पिता होता है
कारखाने की मशीन के
कलपुर्जे-सा
चलता रहता है
घिसता रहता है
पिता होता है
मंदिर के कलश-सा
जो बढ़ाता है शोभा
और
एहसास कराता है
दूर से ही
मंदिर होने का
ये सब तो
है ही,
पिता
असल में
पिता होता है,
हौसला . . . हिम्मत . . .
सुरक्षा कवच
बच्चों के
भविष्य का
बच्चे के
पिता बनने तक की
यात्रा का!
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