डिब्बे-डिब्बे जुड़ी है रेल
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता नरेंद्र श्रीवास्तव1 Dec 2019 (अंक: 145, प्रथम, 2019 में प्रकाशित)
लंबी-लंबी बड़ी है रेल।
डिब्बे-डिब्बे जुड़ी है रेल॥
कुछ उतरे, कुछ बैठ रहे हैं।
स्टेशन पर खड़ी है रेल॥
सिग्नल हरा न होगा जब तक।
खड़ी रहेगी, अड़ी है रेल॥
मोड़ पड़े खिड़की से देखो।
माला की ज्यूँ लड़ी है रेल॥
खींचले ज़ंजीर कोई तब।
रुकती फ़ौरन डरी है रेल॥
सीख लिखी डिब्बे-डिब्बे में।
लगता लिखी-पढ़ी है रेल॥
कोई मिले तो, कोई बिछड़े।
दिल की दिल से कड़ी है रेल॥
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