वंदना
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता नरेंद्र श्रीवास्तव15 Apr 2019
माँ! मैं तेरे चरणों में
नित शीश झुकाऊँ।
बारम्बार विनय करूँ
सदा तेरी कृपा पाऊँ॥
इतनी बुद्धि देना मुझे
अच्छे नंबर पाऊँ।
मम्मी, पापा,गुरुजनों से
"अच्छा बेटा" कहलाऊँ॥
मेरे मित्र बनें सभी
कोई कभी न रूठे।
पढ़ें और खेलें संग
साथ कभी न छूटे॥
आदत बुरी न आए
ग़लत राह न जाऊँ।
इतना लायक़ करना
काम सभी के आऊँ॥
माँ! मैं छोटा जानूँ न
कैसे तुझे मनाऊँ।
बारम्बार विनय करूँ
सदा तेरी कृपा पाऊँ॥
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