मुस्कुराने के लिए भी
काव्य साहित्य | कविता नरेंद्र श्रीवास्तव20 Feb 2019
बच्चे खेल रहे थे
क्रिकेट
अच्छे मूड में
और तभी
पड़ोसी छीन ले गया गेंद
पड़ोसिनें तैयार हुईं थीं
जाने के लिए मन्दिर
अच्छे मूड में
और तभी
एक पड़ोसिन के पति
ले गये
अपनी पत्नी को गुस्से में
रविवार को
वह देख रहा था सीरियल
अच्छे मूड में
और तभी
बॉस का आ गया फ़ोन
बुला रहे थे ऑफ़िस
दादाजी निकालकर लाये थे
पेंशन
अच्छे मूड में
और तभी
एक पेंशनर साथी
आया उदास
माँग रहा था रुपये उधार
कितनी मज़बूर है ज़िन्दगी
मुस्कुराने के लिए भी!
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